ADARSH PANDEY

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लेखनी कहानी -16-May-2022


अब इश्क़ की गुलामी मंजूर नही है।
अब इश्क़ का गुलाब अच्छा लगता है।।

तन्हा होकर दूर रहु तो ख़्वाब अच्छा लगता है।
पास होकर मिल न पाऊ तो तन्हा अच्छा लगता है।।

इश्क़ अब गर मानू तो घर छोड़ना पड़ता है।
जब घर से दूर रहु तो आँगन सुना लगता है।।

लेखक आदर्श पाण्डेय
#writeradarshpandey_ki_shyari
  • @writeradarshpandey


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15 Comments

Fareha Sameen

18-May-2022 12:20 PM

Very nice

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Swati chourasia

17-May-2022 07:15 AM

बहुत खूब 👌

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ADARSH PANDEY

16-May-2022 08:37 PM

बहुत बहुत शुक्रिया आपका स्नेह हमेशा बने रहे ।

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